सैल[1] है, मौज है, गिर्दाब[2] है हमने माना
हाथ से पर तेरा दामन तो न छूटे जाना!
तेरा दामन, कि जो कश्ती भी है पतवार भी है
जिसके होते हुए हर मौज को साहिल माना
वो अगर हाथ में हो, हाथ में हैं दोनो जहाँ
वो अगर साथ में हो, साथ है दीनो दुनिया
तेरा दामन है तो गुलरंग बहाराँ है हयात
वर्ना तन मन पे ख़िज़ाँ[3] छायी है रेज़ा रेज़ा[4]
तेरे दामन की हवा, आबे गुलिस्ताँ है जो
आग भड़काये है इस ख़ाक में रफ़्ता रफ़्ता
दीं[5] गया दह्र[6] गया होशो ख़िरद के जाते
सब गये पर न गया हाथ से दामन तेरा
बन के तक़दीर की रेखायें मेरे हाथों में
हो गया सब्त[7] तेरा दामने रेशा रेशा